जोगिंद्रनगर (ओमप्रकाश चौहान) : अधिकतर ‘13’ का अंक अशुभ माना जाता है और इसके प्रयोग से हर व्यक्ति बचने का प्रयास करता है। चारों खाने कोई चारा न हो तभी 13 का अंक स्वीकार किया जाता है वरना इसे दुत्कारा ही जाता है। इसके पीछे दुनिया भर में अनेकों कारण गिनाए जाते हैं और यह साबित करने की भी कोशिश की जाती है कि 13 का अंक वाकई अशुभ है।
चंडीगढ़ में सेक्टर-13 न होना भी इसी सोच की पुष्टि करता है बेशक इसमें तथ्य हो या न हो। हिमाचल के नाहन में भी नगर परिषद का पीछा 13 के अंक से छुड़वाने के लिए वार्डों की संख्या में बढ़ोतरी का प्रस्ताव लाए जाने की सूचना है। बेशक पुनर्सीमांकन के दायरे में आकर ही यह अंक खत्म हो जाएगा, लेकिन 13 का अंक अशुभ होने की धारणा से भी नाहनवासी बच जाएंगे। लेकिन शायद वहां 13 नंबर वार्ड से पीछा छुड़ाना कानून सम्मत नहीं होगा।
इस सबसे परे हटकर जोगिंद्रनगर शहर के साथ लगता एक ऐसा गांव भी है जहां के लिए 13 का अंक बेहद शुभ यानि लक्की है। ढेलू पंचायत में पडऩे वाला यह डोहग गांव है, जहां के लोग 13 अंक पर इस कद्र लट्टू हैं कि वाहन पंजीकरण आदि के लिए वह इस अंक को पहले ही रिजर्व करवा लेते हैं। वैसे भी 13 का अंक कोई नहीं लेना चाहता लेकिन रूटीन में आए तो किसी को भी यह स्वीकार करना पड़ता है।
ऐसे में 13 का अंक डोहग के नाम ही समझा जाता है। डोहग की अधिकांश गाडिय़ों पर आखिरी नंबर 13 ही होता है। वहां के लोग इसे लक्की मानते हैं इसीलिए आखिरी अंक 13 ही होता है। शहर में भी एक परिवार ऐसा है जो अपने वाहनों के साथ 13 का ही अंक जोड़ता है और यह परिवार भी इस अंक को लक्की मानता है।