शैलेंद्र कालरा/शिमला
कहते हैं, पुरुष की कामयाबी में महिला का बड़ा हाथ रहता है। इसमें चाहे मां-बहन या फिर पत्नी हीे क्यों न हो। देश की राजनीति के पटल पर चमक रहे जेपी नड्डा की सफलता के पीछे भी एक महिला है, जो उनकी अर्द्धांगिनी है। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की पत्नी मल्लिका नड्डा उनकी कामयाबी में बराबर की भागीदार है।
11 दिसंबर 1991 को जेपी नड्डा परिणय सूत्र में बंधे थे। छात्र राजनीति के दौरान ही दोनों की मुलाकात हुई थी। एक समाजसेवी के रूप में भी मैडम मल्लिका नड्डा ने एक जगह बनाई है। 21 सालों से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए कार्य कर रही मल्लिका नड्डा को राजनीति विरासत में मिली है। मध्य प्रदेश में जेपी नड्डा की सास जयश्री बेनर्जी एक बेदाग छवि की राजनीतिज्ञ रही हैं। 13वीं लोकसभा की सदस्य भी रही। साथ ही मध्य प्रदेश विधानसभा में तीन मर्तबा विधायक रही।
1977 से 1980 तक कैबिनेट स्तर की मंत्री रही। बचपन से ही मल्लिका नड्डा ने घर में संघ व भाजपा से जुड़ी राजनीति को देखा व महसूस किया है। लिहाजा खुद भी राजनीति के गुर बखूबी समझती हैं। स्पेशल ओलम्पिक्स (हिमाचल चैप्टर) की चेयरपर्सन मल्लिका नड्डा खुद भी समाज के उन बच्चों से जुड़ी रहीं, जिन्हें विशेष स्नेह व देखभाल की आवश्यकता होती है। यहां भी मल्लिका नड्डा ने अच्छी सफलताएं अर्जित की हैं। राज्य से हर साल विशेष बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत कर लाते हैं।
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सबसे अहम बात यह है कि नड्डा हालांकि छात्र राजनीति से जुड़े रहे, लेकिन शादी के दो साल बाद ही 1993 में पहली बार विधायक बन गए। अप्रैल 2016 में मल्लिका नड्डा को ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से लोक कार्यक्रम व ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद का सदस्य बनाया गया, जहां रहकर महिलाओं का आर्थिक स्तर सुधारने के लिए प्रशिक्षण व स्वयं सहायता समूह के माध्यम से माईक्रो फाइनांसिंग के लिए कार्य कर रही हैं।
बताते हैं कि जब जेपी नड्डा ने 2010 में प्रदेश से वन मंत्री का ओहदा छोड़ कर केंद्र में जाने का फैसला लिया था, तब भी मल्लिका नड्डा एक मुख्य सलाहकार के तौर पर थी। तब परिवार ने यह नहीं सोचा था कि महज दो साल में मोदी सरकार पूरे दम से सत्ता में काबिज हो जाएगी और उन्हें अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिल जाएगी।