नाहन (शैलेंद्र कालरा): विधानसभा चुनाव की पोलिंग निपटते ही कांग्रेस व भाजपा पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर नेताओं व पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने में लगी हुई है। ऐसे में निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रदेश निर्माता के बेटे कुश परमार व पौत्र चेतन परमार को लेकर कांग्रेस में क्या चल रहा है, तो अंदर की खबर यह है कि प्रदेश निर्माता के पौत्र चेतन परमार को कांग्रेस ने छह साल के लिए निष्कासित करने की तैयारी कर ली है, जबकि बेटे कुश परमार व उनकी पत्नी सत्या परमार के खिलाफ पार्टी कोई एक्शन नहीं लेगी। यानि प्रदेश निर्माता के बेटे व पुत्र वधू कांग्रेस में ही बने रहेंगे।
सूत्रों का कहना है कि केवल चेतन परमार को ही निष्कासित करने की सिफारिश मंडल व जिला स्तर से कर दी गई है। विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम नाहन में ही उस वक्त हुआ था, जब पौत्र चेतन परमार ने भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया था। प्रदेश निर्माता डा. वाईएस परमार के परिवार का कांग्रेस में 1982 से सीधा दखल रहा।
पहली बार कुश परमार 1982 व 1985 में पांवटा साहिब से चुनाव जीते। लेकिन 1990 में भाजपा के फतेह सिंह से हार मिलने के बाद उन्हें नाहन हलके में शिफ्ट कर दिया गया। 1993 के चुनाव में कुश परमार पहली बार नाहन हलके से भी चुनाव जीते। 1998 का चुनाव भी जीतने के बाद 2003 में सदानंद चौहान से हार का सामना करना पड़ा। 2007 में मात्र 746 मतों के अंतर से श्यामा शर्मा को हराकर जीते। 2012 में भाजपा के डॉ. राजीव बिंदल के अलावा कुश परमार, श्यामा शर्मा व स्व. सदानंद चौहान दंगल में थे। लेकिन बिंदल ने धमाकेदार जीत को हासिल किया।
कुल मिलाकर 27 नवंबर 1944 को जन्मे प्रदेश निर्माता डॉ. वाईएस परमार के बेटे कुश परमार ने पांवटा व नाहन हलकों से 8 चुनाव लड़े। इसमें से तीन में हार हासिल हुई। दीगर है कि चुनाव के दौरान पौत्र ने बेशक ही भाजपा का दामन थाम लिया था, लेकिन प्रदेश निर्माता की तस्वीरों को कांग्रेस की प्रचार सामग्री में प्राथमिकता दी गई थी। उधर ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष अजय सोलंकी ने माना है कि पूर्व विधायक कुश परमार के निष्काषन की सिफारिश नहीं है।