शिमला (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल में विधानसभा चुनाव में पांच राजघरानों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इनमें बुशहर रियासत से ताल्लुक रखने वाले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अर्की और उनका बेटा विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ रहे हैं। कुसुंपटी सीट से कोटी रियासत के वारिश अनिरूद्व सिंह ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस के गढ माने जाने वाले कुसुंपटी में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने क्योंथल राजघराने का सहारा लेते हुए साल 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाली विजय ज्योति सेन को मैदान में उतारा है। दो राजघरानों के प्रत्याशियों के यहां आमने-सामने होने की वजह से मुकाबला रोचक बन गया। यहां से वर्तमान विधायक अनिरूद्व सिंह लगातार दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। भाजपा प्रत्याशी विजय ज्योति सेन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी की भाभी है और उन्होंने कुछ दिन पहले ही भाजपा का दामन थामा है।

अपने स्वर्गीय पिता व पूर्व मंत्री कर्ण सिंह के निधन के बाद कुल्लू रियासत के वारिश आदित्य विक्रम सिंह बंजार सीट से पहली बार अपनी सियासी पारी की शुरूआत कर रहे हैं। इस युवा तुर्क को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। जबकि उनके ताया महेश्वर सिंह विरोधी पार्टी भाजपा की टिकट पर कुल्लू से चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार महेश्वर सिंह ने हिलोपा पार्टी की टिकट पर चुनाव जीता था। चंबा जिले की डल्हौजी रिसायत की वारिश आशा कुमारी इस बार फिर डल्हौजी सीट से चुनाव लड़ रही है। आशा कुमारी की गिनती कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्रियों में होती है और कांग्रेस आलाकमान में उनकी अच्छी खासी पैठ है।
दिलचस्प यह है कि इन बड़े पांचों राजघरानों के बारिश आपस में रिश्तों के डोर में भी बंधे हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और महेश्वर सिंह बेशक सियासत में एक दूसरे के विरोध में हैं, लेकिन बुशैहर रियासत की कुल्लू राजपरिवार में हुई दो बेटियों की शादी से ये परिवार अब संबंधी बन चुके हैं। कयोंथल रियासत की विजय ज्योति सेन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की रिश्तेदार है। डल्हौजी राजघराने की आशाकुमारी के भी वीरभद्र सिंह परिवार से रिश्ते हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि हिमाचल के दो राजघरानों ने अब सियासत से दूरी बना ली है। चौपाल रिसायत से संबंध रखने वाले राजा योगेंद्र चंद कई बार विधायक रह चुके हैं। इसी तरह नालागढ़ रिसायत का राजपरिवार पिछले तीन दशकों से राजनीती से दूर है।