बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा) : इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स के कारोबार के लिए रजिस्टर्ड एक कंपनी द्वारा इसकी आड़ में प्रतिबंधित लॉटरी का धंधा कर लोगों को ठगने के आरोप में बरमाणा पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
बता दें कि मनोज कुमार नामक युवक ने सात मार्च को खारसी चौकी में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी, जहां पर लोगों को एक निजी कंपनी के डायरेक्टर द्वारा किसी पालिसी के चक्कर में 800 से अधिक लोगों से लाखों रुपए की ठगी की गई थी।
इस दौरान आरोपियों की हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी इनकी जमानत रद्द हो गई है, जिस पर पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों को अदालत में पेश किया जाएगा। आरोपियों के खिलाफ 420, 34 आईपीसी व लॉटरी एक्ट के दौरान मामला दर्ज कर लिया है।
वर्ष 2014-15 में बिलासपुर के खारसी के एड्रेस पर रजिस्टर्ड बीआईवी थ्री-डी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लॉटरी का बिजनेस भी चला रही थी, जबकि हिमाचल समेत पूरे देश में लॉटरी पर बैन है। इस कंपनी के मुखियाओं ने कुछ लोगों को सब्जबाग दिखाकर अपना एजेंट बनाया और उनके माध्यम से 800 लोगों को मेंबर बना लिया। प्रत्येक मेंबर से एक साल तक प्रतिमाह 500-500 रुपए लिए गए।
कंपनी का दावा था कि हर माह छह-छह ड्रॉ निकालकर विजेताओं को इनाम दिया जाएगा। अंतिम महीने में बंपर ड्रॉ निकाला जाएगा, जिसमें बाकी बचे सभी सदस्यों को ईनाम मिलेगा। उनमें से एक को कार भी मिलेगी। कंपनी ने साल भर में लगभग 48 लाख रुपए इकट्ठे कर लिए। लोगों का विश्वास जीतने के लिए 10-11 माह तक ड्रॉ निकालकर छह-छह लगभग सभी विजेताओं को कोई न कोई आइटम इनाम के रूप में दिए जाते रहे।
हालांकि ईनाम में दी गई ज्यादातर सामग्री घटिया स्तर की पाई गई, लेकिन तीन माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अंतिम ड्रॉ अभी तक नहीं निकाला गया। इसकी वजह से कम से कम 734 लोग ऐसे हैं, जिन्हें छह-छह हजार रुपए गंवाने के बाद भी इनाम के नाम पर कुछ हासिल नहीं हो पाया है। कंपनी के झांसे में आकर एजेंट बने लोगों ने मुख्य रूप से अपने रिश्तेदारों व जान-पहचान के लोगों को ही मेंबर बनाया था।