मेघ सिंह कश्यप/भुंतर
बदलते जमाने के साथ पुरानी रुढ़िवादी सोच भी बदल रही है और नई सोच नई ऊर्जा के साथ परंपरा को तोड़कर नई जगह बना रही है। इस बदलाव को सच साबित करते हुए जालंधर से प्रताप नगर के 37 वर्षीय जतिंद्र सिंह ढालीवाल ने कुल्लू के भुंतर स्थित जिया गांव की 36 वर्षीय विधवा निर्मला जंबाल के साथ शादी कर अपना घर बसाया।
समाज और परिवार के विरोध से ऊपर उठकर नया जीवन शुरू करने का फैसला और विधवा से शादी उसके 15 वर्षीय बेटे व 17 वर्षीय बेटी को भी अपनाया। निर्मला के पति का काफी समय पहले किसी बीमारी के चलते देहांत हो गया था। पति के देहांत के बाद उसके कंधों पर एक बेटे व एक बेटी की जिम्मेदारी पड़ गई। एक निजी स्कूल में टीचिंग कर बच्चों की परवरिश कर रही थी। इसी बीच किसी नेटवर्किंग कंपनी में काम के दौरान जतिंद्र मुलाकात हुई और विचार मिलने पर दोनों नें जीवन भर साथ निभाने का फैसला लिया।
जालंधर के जतिंद्र भी शादीशुदा हैं, लेकिन उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी की मृत्यु भी किसी बीमारी के चलते हुई जबकि उसे बचाने के लिए काफी प्रयास किए। पुनर्विवाह करने वाले नवदंपति की कहानी कुछ मिलती-जुलती ही है। जीवन साथी के बिछुड़ने के बाद दोनों को अकेलापन डसने लगा था, लेकिन दोनों की मुलाकात इस तरह हुई की दिल मिलते ही प्रेम बंधन मेंं बंध गए और दोनों ने शादी का फैसला लिया।
निर्मला से शादी करने पर जतिंद्र ने उसके दो बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी उठाने के साथ ही पिता का प्यार भी दे रहे हैं। हर किसी को अपनी जिंदगी में एक पार्टनर की जरुरत होती हैं, जिससे वह अपनी सारी बातें शेयर कर सके। शादी के उपरांत जालंधर के जतिंद्र व कुल्लू की निर्मला दोनों बच्चों सहित खुश नजर आ रहे हैं।
जतिंद्र का कहना है कि अगर हम किसी इंसान की जिंदगी में खुशियां भर दें तो इससे अच्छा काम क्या हो सकता है। मैं भी अकेला था मुझे भी लाइफ पार्टनर मिल गया। निर्मला व बच्चों की खुशी के लिए मैं कुल्लू में ही घर बना कर उनकी जिंदगी को और खुशनुमा बनाना चाहता हूं।