अंधाधुंध व बेतरतीब निर्माण ने देश के 13 जवानों को असामयिक लील लिया। इसकी भरपाई होना मुश्किल है। एक जवान को प्रशिक्षित करने के लिए फौज का लाखों रूपये खर्च होता है। पैसे की अंधाधुंध दौड़ में अवैध व बिना नक़्शे पास किए कई मंजिला होटलों व ढाबे बनाने की कवायद प्रदेश में जारी है। चंडीगढ़-शिमला, मंडी-कुल्लू, मनाली, चंडीगढ़-धर्मशाला रोड पर ऐसी असंख्य होटल रातोंरात खड़े हो गए हैं।
पहाड़ियों की तलहटियों में पेड़ व पहाड़ी काट कर बहुमंजिला होटल कच्ची मिटटी में निर्मित कर दिए गए हैं। जिसकी परिणीति कुमारहट्टी हादसे के रूप में सामने है। सरकार के सामने अब सड़को के साथ-साथ इन बहुमंजिला होटलों पर कार्रवाई यक्ष प्रश्न के रूप में मुँह बाए खड़ी है। सरकारी व प्राइवेट बसों में ओवरलोडिंग पर अंकुश लगा कर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने का सरकार ने पग उठाया है। मगर सड़कों की दुर्दशा व अंधाधुंध भवन निर्माण सरकार के लिए चिंता का विषय है।
घर से दूर सुकून के दो पल बिताने बैठे असम राइफल के जवानों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जहां वो खाना खाने बैठे हैं,उस स्थान की नींव कितनी कच्ची है। दुःख की बात यह है कि इस हादसे में जेसीओ रैंक के अनुभवी अफसर भी देश ने खोए हैं। हिमाचल सरकार के लिए यह होटल और ढाबे मानवीय नुकसान की एक और चुनौती के रूप में खड़े हो गए है। समय रहते सरकार ने इन बहुमंजिला इमारतों की क्वालिटी चैक नहीं की तो इस प्रकार के हादसे प्रदेश में बढ़ते रहेंगे।
https://youtu.be/kbr4q8P_ryc
प्रथम दृष्टिया कुमारहट्टी हादसे में जो बात सामने आई है, उसमें कच्ची जमींन पर बिना नियोजित निर्माण व घटिया बिल्डिंग मेटीरियल प्रयोग होने की बात खुद सीएम ने स्वीकार की है। समय रहते इन निर्माणों पर अंकुश नहीं लगा तो भविष्य में न जाने कितने और हादसे घट सकते हैं।
बहरहाल सरकार पहले से ही बंजार हादसे के बाद बसों की ओवरलोडिंग की चुनौती का सामना कर रही है, अब इस हादसे के बाद सरकार के सामने हाईवे किनारे अवैध निर्माणों की चुनौती भी आ गई है। देखना यह होगा कि सरकार अब इस पर किस तरह की कार्रवाई अमल में लाती है।