एमबीएम न्यूज़/ शिमला
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया सवालों में घिर गई है। छात्र संगठन एसएफआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर इस पूरी प्रवेश प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगाए हैं। मंगलवार को विश्वविद्यालय में आयोजित एसएफआई की प्रेस वार्ता में इकाई सचिव नोबल ठाकुर तथा उपाध्यक्ष अनिल नेगी ने विवि के दो वरिष्ठ प्रोफेसर पर पीएचडी और एमफिल में फर्जी प्रवेश देने के आरोप जड़े।
एसएफआई ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार गैर कानूनी तरीकों से व नियमों को नजरंदाज करके विश्वविद्यालय में अपनी मनमानी कर रहा है। जिसके चलते काबिल और पात्रा रखने वाले छात्रों को दरकिनार किया गया है। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न मामलों का खुलासा भी किया।
नोबल ठाकुर और अनिल नेगी ने कहा कि कॉमर्स विभाग में पूर्व कुलपति के बेटे को पीएचडी में फर्जी तरीके से प्रवेश दिया गया। मात्र 11 महीने में ही थीसिज जमा करवा दिए गए। जबकि यूजीसी के नियमों के तहत थीसिज जमा करने का न्यूनतम अवधि तीन वर्ष होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तरह अध्यापक कोटे से पीएचडी की सीट एक निजी महाविद्यालय में अध्यापन करने वाली अध्यापिका नेहा वालिया को देकर नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई गईं। यूजीसी नियम के मुताबिक सरकारी कॉलेजों में अध्यापन करने वाले अध्यापकों को ही पीएचडी में प्रवेश दिया जा सकता है।
इसके अलावा एमसीए कोर्स में कॉमर्स के एक छात्र को गैरकानून तरीके से प्रवेश दिया गया। नियमों के अनुसार ग्रैजुएशन में गणित विषय पढ़ना अनिवार्य है। जबकि प्रार्थी छात्र के पास ग्रैजुएशन में गणित विषय रहा ही नहीं। हैरानी की बात है कि अब यही छात्र विश्वविद्यालय में प्रौफेसर पद पर कार्यरत है।
एसएफआई ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत से इन सब मामलों की न्यायिक जांच की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि कुलपति स्तर पर कई मामलों की जांच हो रही है, लेकिन आज तक उसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई है। साथ ही इस बार जो आरोप है उसमें डीएस और प्रोफेसर ही नहीं कुलपति भी जांच के दायरे में होने चाहिए।
इस बीच प्रदेश विवि के डीन ऑफ़ स्टडीज अरविंद कालिया ने एसएफआई के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पीएचडी में नियमों के तहत ही प्रवेश दिए गए। एक निजी कॉलेज की महिला अध्यापिका को भी नियमों के दायरे में ही पीएचडी में प्रवेश दिया गया है। नियमों के तहत यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज की ओर से आए आवेदन को स्वीकार किया गया है।