एमबीएम न्यूज/शिमला
लोकसभा चुनाव के समर में पंडित सुखराम ने फिर पैंतरा बदल लिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम अपने पोते आश्रय के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस की सदस्यता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में ली गई। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने आश्रय को मंडी सीट से चुनाव में उतारने का सैद्धांतिक फैसला ले लिया है, लेकिन इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि मंडी सीट गृह जिला होने की वजह से सीएम जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा का भी सवाल है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर पंडित सुखराम परिवार सहित बीजेपी में शामिल हो गए। इससे पहले पंडित सुखराम ने 1997 में हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई थी। उस समय कांग्रेस से अलग हो गए थे। 1998 के विधानसभा चुनाव में हिविकां किंग मेकर की भूमिका में आई तो पंडित जी ने वीरभद्र सिंह को सीएम न बनाने की सूरत में समर्थन देने का ऐलान कर दिया। लेकिन कांग्रेस नहीं मानी तो भाजपा को समर्थन देकर पीके धूमल को पहली मर्तबा सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया।
लोकसभा चुनाव में भी हिविकां ने भाजपा से गठबंधन किया था। लेकिन इसके बाद हिविकां का विलय करने के बाद पंडित सुखराम कांग्रेस में आ गए, लेकिन एक साल पहले फिर दल बदल कर भाजपा में चले गए। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से पहले भी परिवार ने नाटकीय तरीके से भाजपा का दामन थामा था। उधर भाजपा सरकार में पंडित सुखराम के बेटे व मंत्री अनिल शर्मा की स्थिति बेहद ही दयनीय हो गई है। सुबह दिए बयान में अनिल शर्मा ने यह तक कह दिया कि पिता व बेटा दिल्ली में हैं, लेकिन क्या हो रहा है उन्हें भनक तक नहीं है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रभारी राजीव गंभीर को बनाया है, जो आश्रय शर्मा के ससुर होने के साथ ही क्रिकेटर गौतम गंभीर के चाचा हैं।