एमबीएम न्यूज/शिमला
विडंबना है, सिरमौर प्राचीन मंदिरों के अलावा ऐतिहासिक धरोहरों को लेकर धनी है। लेकिन पुरातत्व के लिहाज से आज तक जनपद उपेक्षित रहा। एक से डेढ़ दशक के दौरान खुदाई में कई बहुमूल्य अवशेष मिलते रहे, लेकिन कोई भी बात सिरे नहीं चढ़ पाई। सिरमौरी ताल, सुकेती फॉसिल पार्क, मानगढ़ मंदिर व पांवटा साहिब के देई जी साहिबा मंदिर के साथ-साथ दर्जनों ऐसे स्थल हैं, जहां खुदाई में बेशकीमती अवशेष मिल सकते हैं। पहली बार किसी सरकार ने सिरमौर की अहमियत पुरातत्व के लिहाज से समझी है।

दरअसल सदन में शनिवार को पेश किए गए बजट में स्पीति घाटी के अलावा सिरमौर में पुरातत्व के लिहाज से खुदाई कार्य शुरू करने का फेसला लिया है। सीमए ने कहा कि ऐसे संकेत मिले हैं कि इन क्षेत्रों में पुरातत्व महत्व के कुछ अवशेष हो सकते हैं। प्रदेश में कला व इतिहास के क्षेत्र में शोध के अंतर्गत स्पीति व सिरमौर में आर्केलॉजिकल एक्सकेवेशन आरंभ करने का प्रस्ताव रखा गया है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि प्राचीन संस्कृति व धरोहरों से सुस्सजित सिरमौर में एकमात्र मानगढ़ मंदिर ऐसा है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने नियंत्रण में लिया है। करीब एक दशक पहले पांवटा साहिब के देई जी साहिबा मंदिर को भी नियंत्रण में लेने की बात हुई थी, लेकिन मंदिर का जीर्णोद्धार विभाग ने अधिकृत सोसायटी को सौंप दिया था।
कुल मिलाकर अगर भविष्य में खुदाई से अवशेष मिलते हैं तो लाजमी तौर पर हेरिटेज टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। दीगर बात यह भी है कि सिरमौरी ताल में खुदाई के दौरान मिले बेशुमार अवशेष इस वक्त नाहन के सर्किट हाऊस की शोभा भी बढ़ा रहे हैं। इन पर गजब की नक्काशी है। इसके साथ-साथ त्रिलोकपुर के म्यूजियम में भी अवशेष रखे गए हैं।
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