एमबीएम न्यूज़ / पावंटा साहिब
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से उतर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा कुरूक्षेत्र के ब्रम्हसरोवर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में आसरा संस्था के कलाकारों ने बहुरंगी कलाओं के उत्सव में भाग लेकर सांस्कृतिक क्षेत्र में सिरमौरी संस्कृति की अमिट छाप छोड़ी है। हरियाणा के कुरूक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन 7 से 23 दिसंबर तक किया जा रहा है। आयोजन में आसरा संस्था के लोक कलाकारों को सात से ग्यारह दिसंबर तक जिला सिरमौर के पारंपरिक लोक नृत्यों के प्रदर्शन का अवसर प्राप्त हुआ। जिसके परिणाम स्वरूप आसरा के लोक कलाकार जिला सिरमौर के पारंपरिक लोक नृत्यों के प्रदर्शन में जुटे हैं।
हरियाणा के कुरूक्षेत्र में इन दिनों उतर भारत से आमंत्रित प्रत्येक राज्य के अग्रणी सांस्कृतिक दलों में हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर कर रहे संस्था के लोक कलाकारों के अलावा जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राज्यस्थान व उतराखण्ड के लोक नृत्य दल अपने राज्य के लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दे रहे है। पूरे भारतवर्ष से आए अनेकों सांस्कृतिक दलों की ब्रम्हसरोवर के खुले मंच पर प्रस्तुतियों में संस्था के लोक कलाकार सिरमौर के पारंपरिक लोक नृत्यों की प्रस्तुति देकर अलग पहचान बनाए हुए हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मुख्य सलाहकार विद्यानन्द सरैक व जोगेन्द्र हाब्बी के निर्देशन में तैयार की गई लोक नृत्यों की आकर्षक लोक लुभावनी विधाओं का लोक कलाकार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में बहुरंगी प्रदर्शन कर रहे हैं।
जोगेन्द्र हाब्बी के नेतृत्व में हाटी क्षेत्र का आदिकालीन ठोडा नृत्य जिसका संबंध महाभारत काल से भी माना जाता है कि विशु-नवजया प्रस्तुति को कुरूक्षेत्र की जनता ने बेहद पसंद किया। कलाकारों ने भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह घूमते परात नृत्य व देव पुजाओं व पांजड़ों से संबंध रखने वाले दीपक नृत्य तथा बरसात का रिहाल्टी गी नृत्य के साथ बूढी दीवाली का हारूल नृत्य प्रदर्शन भी जनमानस के लिए आकर्षण का केन्द्र बना। लोक गायक रामलाल, गोपाल तथा सुनपति की मधुर स्वर लहरियों ने जनमानस की खूब वाहवाही लूटी। मनमोहन, चमन, अमीचन्द, जोगेन्द्र के परात नृत्य व सरोज, लीला, लक्ष्मी व अनुजा की नृत्य अदाओं ने दर्शको की तालियां बटोरी।