वी कुमार/मंडी
सीनियर सकैंडरी स्कूल कोटली के प्रधानाचार्य के तबादले रूकवाने के लिए स्कूली छात्रों को हथियार बनाया है। शुक्रवार को इस बात का खुलासा तब हुआ जब स्कूल के छठी से लेकर 12वीं कक्षा के 100 से अधिक बच्चे प्रधानाचार्य सुशील कुमार का तबादला रूकवाने के लिए डीसी के पास पहुंच गए। इतनी अधिक संख्या में बच्चों के डीसी कार्यालय में पहुंचने पर हडकंप मच गया। बच्चे डीसी से मिले और अपनी बात रखी। डीसी ने भी बच्चों के साथ प्यार से बात करके उन्हें वापस जाने को कहा, लेकिन शिक्षा विभाग को इस मामले की जांच के आदेश दे दिए है। छात्रों ने बताया कि वे अपनी मर्जी से परिजनाों को जानकारी देकर आए हैं। इनका कहना है कि इन्हें सुशील कुमार स्कूल में बतौर प्रधानाचार्य चाहिए और उनके तबादले को रोका जाए, नहीं तो यह सोमवार को फिर से आएंगे।
अब सवाल यह है कि अगर बच्चे परिजनों को बताकर आए थे तो स्कूल ड्रेस में स्कूल बैग के साथ क्यों पहुंचे और परिजनों ने इन्हें अकेले कैसे आने दिया। बच्चों ने यह भी बताया कि वह बस के माध्यम से आए हैं,जबकि बच्चों को टैक्सियां करके भेजा गया था। जब इस बारे में कोटली स्कूल के एसएमसी प्रधान अरूण कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे के परिजन को इस बात की जानकारी नहीं थी। जब बच्चे स्कूल नहीं पहुंचे तभी इसका पता चला। बच्चे टैक्सियों के माध्यम से पहुंचाए गए और टैक्सी चालक यह बताने को तैयार नहीं हो रहे कि उन्हें किराया किसने दिया और छात्रों को ले जाने को किसने कहा। उन्होंने कहा कि बच्चों को राजनीतिक आधार पर इस्तेमाल किया गया है और इस बात की पूरी जांच होनी चाहिए। वहीं मंडी बचाओ संघर्ष मोर्चा ने इस पूरे प्रकरण पर एफआईआर दर्ज करने की मांग उठाई है।
उच्च शिक्षा उपनिदेशक अशोक शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चे अपनी मर्जी से नहीं आए हैं इन्हें बहला-फुसला कर लाया गया है। इस पूरे मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं और जांच अधिकारी को दो दिनों में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाही अमल में लाई जाएगी। बता दें कि प्रधानाचार्य सुशील कुमार मूलतः सरकाघाट के रहने वाले हैं और इन्होंने मंडी शहर के साथ नेला में अपना घर बना लिया है। कोटली में यह बीते करीब साढ़े तीन वर्षों से तैनात थे। सरकार ने इनका तबादला दुर्गम क्षेत्र ब्रयोगी के लिए किया है।
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