एमबीएम न्यूज़/शिमला
राज्य की जयराम सरकार ने आउटसोर्स पर कार्यरत हजारों कर्मचारियों को झटका दिया है। इन कर्मचारियों को नियमित करने से सरकार ने इंकार कर दिया है। मुख्यमत्री जयराम ठाकुर ने आज प्रश्नकाल के दौरान सदन में सर्वोच्च न्यायालय के आए एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं स्थायी व सरकारी नहीं की जा सकतीं। इन्हें नियमित नहीं किया जा सकता।
उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने के लिए एक नीति बनाने का ऐलान तक कर दिया थाए लेकिन उन्हें नियमित नहीं किया गया। कांग्रेस ने इस तरह की बरगलाने वाली घोषणा कर आउटसोर्स कर्मियों का शोषण किया था। मगर हमारी सरकार यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि कानूनी अड़चनों के कारण आउटर्सोस कर्मियों को नियमित करने के लिए कोई नीति नहीं लाई जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि आउटसोर्स भर्ती में न तो रोस्टर का अनुसरण किया जाता है कि न ही आगे होगाए क्योंकि यह भर्ती सरकारी नहीं है। केवल सरकारी भर्ती में ही रोस्टर का अनुसरण किए जाने का प्रावधान है। माकपा के राकेश सिंघाए कांग्रेस के हर्षवधर्न चौहान और भाजपा के विनोद कुमार के सवाल पर जयराम ठाकुर ने आश्वसत किया कि उनकी सरकार आउटसोर्स कर्मियों का शोषण नहीं होने देगी।
यह सुनिश्चित करेगी कि उन्हें समय पर वेतन मिले और न्यूनतम वेतन दिया जाए। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों के लिए वेतन निविदा की शर्तों के तहत दिया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों के वेतन में लेटलतीफी करने वाली कंपनियों को तलब कर सख्त निर्देश दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि इस साल फरवरी माह तक राज्य में 8731 आउटसोर्स कर्मचारी तैनात हैं। इनमें सरकारी विभागों में 5048ए बोर्डों में 2893 और निगमों में 790 आउटसोर्स कर्मी हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015ए 2016 व 2017 में 225 करोड़ की धनराशि आउटसोर्स प्रदाता कंपनियों को आउटसार्स सेवाओं के बदले दी गई है।