एमबीएम न्यूज़ / धर्मशाला
हिमाचल साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि गुरमीत बेदी के कविता संग्रह ‘मेरी ही कोई आकृति को अब जर्मनी के कविता प्रेमी भी पढ़ेंगे। जर्मन कवियत्री रोजविटा ने इस कविता संग्रह का जर्मनी में अनुवाद किया है और वहां के एक प्रमुख पब्लिशर द्वारा इसे प्रकाशित किया जा रहा है। रोजविटा जर्मनी के विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं और वर्ल्ड पोएट्री फेस्टिवल में भी गुरमीत बेदी की हिंदी कविताओं का जर्मनी में रूपांतरण कर चुकी हैं।
हिमाचल प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में डिप्टी डायरेक्टर गुरमीत बेदी की एक दर्जन पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं और देश विदेश के कई प्रमुख पुरस्कार भी उनके खाते में दर्ज हैं। उनके पहले कविता संग्रह ‘मौसम का तकाजा के लिए उन्हें वर्ष 1994 में हिमाचल साहित्य अकादमी अवार्ड व पहले कहानी संग्रह ‘कुहासे में एक चेहरा के लिए 1999 में पंजाब कला साहित्य अकादमी अवार्ड भी मिल चुका है । गुरमीत बेदी के व्यंग्य संग्रह ‘नाक का सवाल पर कनाडा का विरसा अवार्ड भी मिला था । गुरमीत बेदी के उपन्यास ‘खिला रहेगा इंद्रधनुष पर एक टेलीफिल्म भी बन रही है ।
गुरमीत बेदी के 3 उपन्यास, तीन व्यंग्य संग्रह, दो कहानी संग्रह, दो कविता संग्रह व शोध की एक पुस्तक प्रकाशित हुई है। पिछले साल प्रकाशित उनके कविता संग्रह ‘मेरी ही कोई आकृति की भूमिका पदमश्री से अलंकृत देश के वरिष्ठतम कवि लीलाधर जगूड़ी ने लिखी है और भावना प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है। इस संग्रह की कविताएं देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित व चर्चित हुई हैं। गुरमीत बेदी ने देश के साहित्यिक परिदृश्य में कवि,कहानीकार व व्यंग्यकार के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है। विदेशों में भी कविता व व्यंग्य पाठ करके गुरमीत बेदी हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ा चुके हैं। जर्मनी व मारीशस में आयोजित वर्ल्ड पोएट्री फेस्टिवल में भी गुरमीत बेदी हिस्सा ले चुके हैं। गुरमीत बेदी इन दिनों चंडीगढ़ स्थित हिमाचल प्रदेश प्रेस संपर्क कार्यालय में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत हैं।