एमबीएम न्यूज़ /पांवटा साहिब
पांवटा साहिब में उद्योगों की मनमानी के आगे सरकारी विभागों ने बिल्कुल घुटने टेक दिये हैं। यहां नामी दवा कंपनी द्वारा पिछले कई अरसे से प्रदूषित पानी खुले में छोडा जा रहा है परंतु प्रदूषण बोर्ड इस पर आंखें मूंदे बैठा है। इतना ही नहीं कंपनी प्रबन्धन का दावा है कि सम्बन्धित विभागों को कोई कार्रवाई न करने के लिए नियमित आबलाईज़ भी किया जाता है।
लिहाज़ा खुले में फेंके जा रहे इस केमिकल युक्त पानी से क्षेत्र में भीषण बीमारियों सहित महामारी फैलने का खतरा बढ गया है। साथ ही इस नाले से होकर पानी बाता नदी और फिर यमुना नदी में मिलता है और उसे दूषित कर रहा है। इतना ही नहीं रोज़ाना यहां बहाये जा रहे हज़ारों लीटर विषैले पानी से अंडर ग्राऊंड वाटर व आस-पास के खेत-खलियान भी दूषित हो रहे हैं।
पांवटा साहिब के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित देश की एक नामी दवा उद्योग लैबोरेट फार्मा द्वारा प्रत्येक दिन हज़ारों लीटर केमिकल युक्त पानी खुले में छोडा जा रहा है जिससे क्षेत्र में अनेकों पशु-पक्षी भीषण बीमारियों की चपेट में आरहे हैं। साथ ही आस-पास के रिहाईशी ईलाकों में महामारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है। निजी कम्पनी द्वारा इस काम को आधी रात में चोरी छुपे अंजाम दिया जा रहा है।
पिछले कर्र महीनों से यहां करीब 18-20 टैंकरों द्वारा हज़ारों लीटर दूषित पानी खुले में डाला जा रहा है परंतु इसपर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बिल्कुल आंखें मूंदे बैठा है। आर्धरात्रि में मीडिया द्वारा किये गये रियलटी चेक में यह सभी बातें सही पाई गई। कम्पनी से निकलते एक टैंकर का पीछा करते हुए जब मीडिया का कैमरा उस जगह तक जा पहुंचा जहां खुले में गुपचुप तरीके से यह गन्दा पानी फेंका जा रहा था तो टैंकर चालक ने मौके पर ही सारी दास्तां बयां कर दी।
मौके पर पत्रकारों द्वारा वीडियोग्राफी के अंतर्गत दूषित पानी के सेंपल भी लिये गये। उधर जब कम्पनी प्रबन्धन से इस बारे उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने ले-देकर मामला निप्टाने की बात कही। कम्पनी प्रबन्धन ने साफ तौर पर कहा कि प्रदूषण विभाग सहित यहां जो भी आता है उसे बकायदा प्रतिमाह हिस्सा पहुंचाया जाता है। ऐसे में आखिर कार्रवाई करे भी तो कौन।
वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिषासी अभियंता श्रवण कुमार से जब इस बारे पूछा गया तो उन्होंने मामले को टालते हुए कहा कि उनके पास वाहनों व स्टाफ की कमी है जिस कारण वे घटना स्थल पर नहीं जा सकते। हालांकि अधिषासी अभियंता के जिले के अन्य स्थान पर प्रवास पर होने के कारण उनसे फोन पर ही सम्पर्क हो पाया, परंतु एक जिम्मेदार अफसर का यह जवाब बोर्ड की कार्यप्रणाली पर कई बडे सवाल खडे करता है।
वहीं उन्होंने पत्रकारों द्वारा लिये गये सेंपल तक को लेब में चेक करने से मना कर दिया। अफसरों के इस ढुल-मुल रवैये से साफ तौर पर इस मामले में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार होने की बू आरही है। वहीं इस सारे मामले को लेकर जब मेंबर सेक्रेटरी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज प्रूथी से बात की गई तो उन्होंने कडक लहज़े में मामले की तुरंत जांच के आदेश देने की बात कहीं है।