एमबीएम न्यूज़ /शिमला
सूबे में बीपीएल का लाभ लेने के मकसद से जुगाड़ बाजी खत्म होगी। दरअसल परिवारों को विभाजित कर बीपीएल का लाभ लेने का खेल प्रदेश में लंबे अरसे से चल रहा था। इसमें माता-पिता से अलग होकर बेटा अपना अलग राशन कार्ड बनवा लेता था, इसमें कम आमदनी का प्रमाणपत्र जुटाना आसान हो जाता था।
इसके बाद गरीब होने का दावा पेश कर दिया जाता, लेकिन अब जयराम सरकार ने बीपीएल परिवारों के चयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चयन प्रक्रिया में जरूरी संशोधन करने को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत विभाजित होने वाले परिवारों को तीन साल तक बीपीएल का लाभ नहीं मिलेगा।
सत्ता में काबिज होते ही जयराम सरकार ने बीपीएल सूचियों की पारदर्शिता को लेकर कई अन्य कदम भी उठाए हैं।
प्रदेश भर में विशेष ग्राम सभाओं के माध्यम से सूचियों की समीक्षा की गई। इसका नतीजा यह हुआ है कि करीब तीन दर्जन पंचायतें बीपीएल मुक्त हो चुकी हैं, यानी इन पंचायतों में कोई भी गरीब अब नहीं रहता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रदेश में ऐसे लोग गरीब बन बैठे हैं, जिनके पास कई ऐसी सुविधाएं हैं जो मध्यम परिवारों के पास भी नहीं होती हैं।
कुल मिलाकर अब हिमाचल में परिवार को तोड़कर गरीबी का खेल नहीं चलेगा। इस कदम से एक फायदा यह होगा कि फ़र्ज़ी गरीबो के सूची से बाहर होने पर प्रदेश की शान भी बढ़ेगी। साथ ही परिवारों का विभाजन भी नहीं होगा।