एमबीएम न्यूज़ /शिमला
सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा मनोरोगियों को बचाने एवं उनके पुनर्वास के लिए स्वयंसेवी ट्रस्ट उमंग फाउंडेशन ने ने हिमाचल प्रदेश में चलाए जा रहे अनूठे अभियान के अंतर्गत एक और बेबस वृद्ध को सोलन ज़िले के भराड़ीघाट से पहले आईजीएमसी अस्पताल और फिर बसंतपुर स्थित वृद्धाश्रम भेजा गया। अब तक इस अभियान में डेढ़ वर्ष के दौरान प्रदेश भर से 75 से अधिक बेसहारा मनोरोगियों को बचाया जा चुका है।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि कुमार ने 11 जून को भराड़ीघाट में एक मनोरोगी वृद्ध पदमदेव को बेसहारा देख पुलिस के माध्यम से उसे रेसक्यू कराया था। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून 2017 के तहत उसे अर्की की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पास पेश किया गया। उनके आदेश पर उसे शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। आईजीएमसी के मनोचिकित्सक ने पदमदेव को इलाज के बाद छुट्टी दे दी। इसके बाद अर्की के कार्यकारी मजिस्ट्रेट के आदेश पर पदमदेव को बसंतपुर के वृद्धाश्रम में भर्ती कराया गया।
सुरेंदर कुमार ने बताया कि पदमदेव अर्की तहसील के गाँव छमला, डाकखाना नौगांव का मूल निवासी है। लेकिन अब उसके परिवार में कोई नहीं है और न ही कोई जमीन जायदाद बची है। मनोरोग के कारण वह बेबस हालत में सड़कों पर भटकता था। उन्होंने बताया कि पदमदेव को रेस्क्यू करने से लेकर पहले अस्पताल और फिर वृद्धाश्रम ले जाने तक में दाड़लाघाट चौकी के हेड कॉन्स्टेबल रमेश कुमार के अलावा सिपाही लीलादत्त व रमेश और होमगार्ड किशनचंद व परमानंद ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया।