एमबीएम न्यूज़ / धर्मशाला
एक सिख फौजी हिमाचली युवती को दिल दे बैठता है। युवती से उसकी मुलाकात टॉय ट्रेन में होती है। सुरंगों और सुरम्य घाटियों के बीच गुजरती ट्रेन के एक ही कोच में दोनों सवार हैं। बातचीत पहाड़ की खूबसूरती व जनजीवन को लेकर शुरु होती है। फिर सियाचिन में तैनात फौजियों की कठिन ज़िंदगी बातचीत के फोकस में आ जाती है।
टॉय ट्रेन का सफर तो शिमला पहुंचकर खत्म हो जाता है। मगर दोनों के बीच एक-दूसरे की दुनिया और एक-दूसरे के भीतरी संसार को जानने- समझने का सफर शुरू हो जाता है। बस इसी ताने-बाने पर उपन्यास की शुरुआत होती है।
हिमाचल साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि व देश के जाने-माने व्यंग्यकार, उपन्यासकार व कहानीकार गुरमीत बेदी के इसी उपन्यास ” खिला रहेगा इंद्रधनुष” पर अब एक टेलीफिल्म बनने जा रही है। बहादुरी, राष्ट्रप्रेम व सांप्रदायिक सद्भावना से ओतप्रोत इस उपन्यास में हिमाचली जनजीवन व अछूते नैसर्गिक सौंदर्य को भी बहुत करीब से रेखांकित किया गया है। फौजियों की जिंदादिली के किस्से भी इसी उपन्यास में हैं।
गुरमीत बेदी का लिखा वह गीत भी इस टेलीफिल्म का हिस्सा है। जिसे उनकी ऊना जिला में बतौर जिला लोक संपर्क अधिकारी तैनाती के दौरान जिला प्रशासन ने अपनी कॉलर ट्यून बनाया था। जो आज भी ऊना जिला के अधिकारियों, कर्मचारियों, मीडिया कर्मियों व प्रमुख लोगों के मोबाइल पर बजता है। इस भावुक गीत में बेटियों का महत्व समझाया गया है।
गुरमीत बेदी हिमाचल प्रदेश सूचना व जनसंपर्क विभाग में उपनिदेशक हैं। उनके तीन उपन्यास, दो कहानी संग्रह, दो कविता संग्रह, तीन व्यंग्य संग्रह व शोध की एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। देश व विदेश के कई पुरस्कार उनके खाते में दर्ज हैं।
विदेशों में आयोजित कई साहित्यिक सम्मेलनों में गुरमीत बेदी भाग लेकर हिमाचल प्रदेश को गौरवान्वित कर चुके हैं। बेदी को हिमाचल का राजभाषा सम्मान व पंजाब कला साहित्य अकादमी अवार्ड भी मिल चुका है।