एमबीएम न्यूज़ / सोलन
पंजाबी साहित्य अकादमी चंडीगढ़ और भंडारी अदबी ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में यहां कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता डॉ. सर्बजीत कौर सोहल ने की। इस मौके पर अशोक नादिर और श्रीराम अर्श ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की। सोलन में आयोजित कवि सम्मलेन में हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ के कवियों ने देश की मौजूदा स्थिति पर अपनी कविताएं सुनाई। इस हिन्दी, पंजाबी व उर्दू भाषाओं के कवि सम्मलेन ने समा बांधा।
दर्शन सिंह की कविता की बानगी देखिए जब मैं सिकंदर था तो रास्ता छोड़ दिया दरियाओं ने, जब मैं रास्ता बना तो दरिया भी सिकंदर हो गए। डॉ. सर्बजीत कौर सोहल ने के शेयर की बानगी कुछ इस तरह थी-तालियां बटोरी तेरे जाण तो बाद, बस ऐन्ना ही कित्ता है तेरे जूठे गिलास बिच पाणी पीता है। सरदार बलवंत सिंह भाटिया ने फरमाया-वो पूछने से नहीं हटते मेरी औकात, मैं पोनो नहीं हरदा दुल्ले की बात। मोगा से आई पवित्र कौर माटी ने कहा कि कुछ लोग समुंद्रथी भी रहन प्यासे ही, साडी ता फितरत औस पाणी है बरगी। निमी वशिष्ठ ने कहा-तन्हा होते ही मुड़ता है मन परिंदे सा, फिक्र होती है जब भीड़ में भी तन्हाई तोड़ देती है।
अशोक नादिर फरमाते हैं-निगाहें लड़ाई हैं आसमां से, चमकते सितारों का कारवां छोड़ जाएंगे। श्रीराम अर्श ने कहा-तेरा घर कैलाश दे उत्थे, मेरी किश्ती सागर बिच, पर कैलाश तों सागर तिक्कण इक गंगा तां बहंदी है। इसके अलावा हरलीन सोना, गुरसेवक लंबी, इंद्र वर्षा, सुखविंदर साही, नवरूप कौर, तेजिंद्र कौर साही समेत अन्य कवियों ने भी कविताएं सुनाई।