जंजैहली (लीलाधर चौहान): हिमाचल प्रदेश में एसएमसी शिक्षकों के लिए नीति बनाया जाना प्रदेश में बेरोजगारों के साथ अन्याय होगा। इस क्रम में सरकार द्वारा एसएमसी शिक्षकों के लिए नीति बनाए जाने को लेकर एससी-एसटी बेरोजगार संघ के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग बेरोजगार संघ के पदाधिकारियों ने कड़े शब्दों में विरोध जताया है।
जिसमें एससी-एसटी बेरोजगार संघ के प्रदेश संयोजक सुरेश कुमार, जिला संयोजक सुरेश चौहान, संजीव चौहान, शीला देवी, मनसा देवी, जितेंद्र भाटिया, कमला यादव, रीना के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग बेरोजगार संघ के बलवीर चौधरी, निर्मल अलका, सुरेंद्र कुमार लेखराम, गीता, अनूप सामूहिक रुप से एसएमसी शिक्षकों को नीति के तहत लाया जाना प्रदेश के बेरोजगारों के साथ भद्दा मजाक करार दिया।
उन्होंने कहा कि इन भर्तियों में किसी भी तरह से आर एंड पी नियमों का पालन नहीं किया गया है और ना ही इन भर्तियों में न्यायसंगत बैच वाइज शिक्षक लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी पद के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है। लेकिन एसएमसी शिक्षकों के रूप में काम कर रहे अस्थाई शिक्षकों द्वारा बिना लिखित परीक्षा दिए उनको नीति के तहत लाकर नियमित करना हिमाचल प्रदेश में अपने आप में हास्यास्पद होगा।
उन्होंने कहा कि इन भर्तियों में न तो रोस्टर की व्यवस्था का अनुसरण हुआ है और न ही प्रदेश में संबंधित रोजगार कार्यालय से किसी तरह से नाम मंगवाए गए हैं। उन्होंने कहा कि नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा अनिवार्य है, ताकि संविधान के अनुसार एक व्यवस्था के तहत पात्र उम्मीदवारों को समान अवसर मिले, जिसका अनुसरण नवोदय एवं केंद्रीय विद्यालयों में किया जाता है। यही कारण है कि इन विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बरकरार है।
एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां इस शर्त के साथ की गई थी कि यदि इन शिक्षकों के स्थान पर नियमित शिक्षक आते हैं तो उन्हें उनके पद से हटाया जाना निश्चित किया गया था। लेकिन इन्हीं अस्थाई शिक्षकों को नीति के तहत लाकर नियमित करना किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है। इन्हीं भर्तियों के कारण प्रदेश में नियमों के अंतर्गत लिखित परीक्षा के तहत और बैच वाइज भर्तियों में बेरोजगारों को अवसर प्राप्त नहीं हुआ है। जिसके कारण एससी-एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के बेरोजगारों के साथ सामान्य वर्ग के बेरोजगारों को भी रोजगार से वंचित किया गया है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा एसएमसी शिक्षकों के लिए नीति बनाए जाने से पहले यदि एससी-एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए बैकलॉग के पद नहीं भरे गए तो बेरोजगार संगठनों द्वारा सामूहिक रुप से पूरे प्रदेश में राज्यव्यापी आंदोलन खड़ा किया जाएगा।