शिमला (एमबीएम न्यूज़) : शहरी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में कूदने वाले राज्य पर्यटन विकास निगम के उपाध्यक्ष हरीश जनार्था ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अपना राजनीतिक गुरू बताया है। आज शिमला निर्वाचन क्षेत्र का घोषणा पत्र जारी करने के दौरान पत्रकारों से बातचीत में जनार्था ने कहा कि वीरभद्र सिंह उनके राजनीतिक गुरू हैं और किसी भी मोड़ पर उन्हें मेरी जरूरत पड़ेगी, तो मैं खड़ा रहुंगा।
जनार्था ने कहा कि कांग्रेस में चल रही गुटबाजी का वह शिकार हुए हैं। इसी वजह से उनकी टिकट कटी है। कांग्रेस हाईकमान ने बेहद ही कमजोर प्रत्याशी को टिकट दिया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान को सोचना चाहिए था कि बीते 5 साल में शिमला में अनेक विकास कार्य हुए हैं। छह माह तक टिकटों को लेकर चले सर्वे में भी शिमला सीट पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत बनी हुई थी। लेकिन अंतिम समय में शिमला सीट से टिकट बदल दिया गया।
शिमला की जनता की राय शुमारी के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। मेरे निर्दलीय चुनाव में उतरने से वीरभद्र सिंह खुश नहीं हैं और उनकी तरफ से मुझे चुनाव से पीछे हटने का संदेश आया था, लेकिन जनता की आवाज पर वह चुनाव लड़ रहे हैं।
जनार्था ने कहा कि वह कांग्रेस के आदमी हैं और उनके तार कांग्रेस से ही जुड़े रहे हैं। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद वह फैसला करेंगे कि किस पार्टी को समर्थन देना है।
इस मौके उन्होंने शिमला शहर की समस्याओं को लेकर चुनावी घोषणा पर जारी किया। इसमें शहरवासियों को प्रतिदिन शुद्व पेयजल उपलब्ध करवाना, वार्डो में निर्धारित एंबुलेंस रोड बनाना, स्कूली बच्चों व महिलाओं को अलग से सिटी बस/अटल बस सेवा चलाना, स्थानीय बस अडडों का निर्माण करना, पार्किंग स्थलों का निर्माण करना, हर वार्ड की सडत्रक को पक्का करना, शिमला को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करना, शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाना, वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए हैल्पलाइन केंद्र शुरू करना, नशे के खिलाफ मुक्ति आंदोलन इत्यादि शामिल हैं।
गौरतलब है कि शिमला शहरी से कांग्रेस ने हरीश जनार्था की टिकट काट कर हरभजन सिंह भज्जी को प्रत्याशी बनाया है। हरभजन भज्जी पूर्व में भी विधायक रह चुके हैं। साल 2012 के चुनाव में हरीश जनाथा कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े थे और महज 600 मतों से हार गए थे।