मंडी (वी.कुमार) : यूं तो नेता इस बात को बड़े जोर-शोर के साथ कहते हैं कि शहीदों के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन अंदर ही अंदर इस पर खूब राजनीति करने से भी गुरेज नहीं करते। इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है मंडी जिला में। दो वर्ष पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने जिला में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए 50 लाख रूपए देने का ऐलान किया था। इस ऐलान के बाद शहीदों के परिजनों, सैनिकों और पूर्व सैनिकों में खासी खुशी का माहौल देखने को मिला। लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन न तो शहीद स्मारक के लिए जमीन का चयन कर पाया और न ही स्मारक के निर्माण की डीपीआर केंद्र को भेज सका। कुछ समय पूर्व प्रशासन ने करीब 10 लाख रूपए का एस्टीमेट जरूर बनाकर भेजा था और उसके तहत शहर के बीचों बीच स्थित कारगिल पार्क में ही कुछ मुरम्मत कार्य करने का सुझाव दिया गया था, लेकिन जिस 50 लाख रूपए की लागत से शहीद स्मारक बनना है उसके बारे में कोई कार्रवाही आज दिन तक नहीं हो सकी। सोच संस्था के अध्यक्ष राजा सिंह मल्होत्रा का कहना है कि सरकार व प्रशासन की लेट लतीफी के कारण यह सब हो रहा है। इन्होंने मांग उठाई है कि इस कार्य को जल्द से जल्द किया जाए।
50 लाख से बनने वाले शहीद स्मारक को लेकर जिला के तीनों मंत्रियों में भी ठन गई थी। सभी मंत्री इसे अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में स्थापित करवाना चाहते थे, लेकिन ऐसा भी नहीं हो सका। एक तरफ शहीद स्मारक के निर्माण पर राजनीति होती रही तो दूसरी तरफ शहर में मौजूद कारगिल पार्क भी अपनी बदहाली पर आंसू बहाता गया। आज आलम यह है कि कारगिल पार्क भी अपनी मुरम्मत की राह ताक रहा है। टाईलें टूट रही हैं, लाईटों का कोई प्रबंध नहीं और फव्वारों ने तो जैसे बरसना ही छोड़ दिया है। कारगिल पार्क मौजूदा समय में एक तरह को वह स्थान बन चुका है जहां पर जिसका जो मन चाहे वैसा सामान रख देता है। स्थानीय निवासी एसआर राजू ने कारगिल पार्क की इस दशा पर चिंता जताई है और प्रशासन से इसकी मुरम्मत करने की गुहार लगाई है।
वहीं जब इस बारे में उपायुक्त संदीप कदम से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि कारगिल पार्क को ही शहीद स्मारक के रूप में विकसित किया जाएगा और इसकी एस्टीमेट रिपोर्ट बनाकर भेज दी गई है।