शिमला (एमबीएम न्यूज़) : नगर निगम के 16 जून को होने वाले चुनाव में इस बार वामपंथी दल माकपा तथा कांग्रेस मिलकर भाजपा को निगम में काबिज होने से रोकेंगे और हर वार्ड में जहां दोनों के प्रत्याशी हैं, वहां स्थिति के अनुसार एक-दूसरे की मदद करेंगे।
सूत्रों के अनुसार माकपा और कांग्रेस में गुप्त रूप से हुए इस समझौते की चर्चा सामने आई है। चुंकि पिछले 5 साल में निगम में मेयर व डिप्टी मेयर का पद माकपा के पास रहा तथा अधिकांश वार्डों में माकपा ने अपना कुछ आधार बनाने की कोशिश की है।
यह भी एक पहलु है कि पिछले निगम चुनाव में मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे हुआ था और लोगों ने प्रत्याशी देखकर मेयर पद के लिए संजय चौहान और उपमहापौर के लिए टिकेंद्र पंवर को निर्वाचित किया था। तब भाजपा तथा कांग्रेस ने इन पदों के लिए प्रत्याशियों के चयन में काफी चूक की थी। कांग्रेस सरकार ने इस स्थिति को भांपकर नगर निगम अधिनियम में संशोधन करके पुरानी स्थिति बहाल कर दी और दोनों महत्वपूर्ण पदों के लिए अब चुनाव निर्वाचित पार्षद ही करेंगे।
इस बार मेयर का पद अनुसूचित जाति की निर्वाचित महिला के लिए आरक्षित है और इसमें इस बार भाजपा व कांग्रेस पार्षदों की उम्मीदें आसमान छू रही हैं। दोनों पार्टियों की इस बार ना केवल चुनाव में बल्कि दोनों पदों के निर्वाचन में प्रतिष्ठा दांव पर है। नगर निगम के चुनाव परिणामों का प्रदेश के इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव पर काफी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
यद्यपि नगर निगम के चुनाव पार्टी चिन्हों पर नहीं हो रहे लेकिन दोनों पार्टियों ने अपने-अपने समर्थक की बाकायदा सूची भी जारी की है और घर-घर जाने वाले प्रत्याशियों के समर्थक अपने साथ पार्टी निशान लेकर प्रचार कर रहे हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि कौन सा प्रत्याशी किस पार्टी से है।
जिन 7 वार्डों में भाजपा तथा कांग्रेस समर्थक प्रत्याशियों की सीधी टक्कर है, उनमें दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। निगम के 13 वार्डों में त्रिकोणा और 14 वार्डों में बहुकोणिय मुकाबला है। माकपा ने 20 वार्डों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं और इन्हें उतारने का मकसद भाजपा को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना है।