नाहन (एमबीएम न्यूज) : मामला, दुर्गम क्षेत्र कोटीधिमान काम्पलेक्स से जुड़ा हुआ है। इसके तहत मिडल स्कूल छोभोगर से शास्त्री जी ने अपने रसूख का कमाल किया है। अक्तूबर 2015 से बिलासपुर जिला में डैपुटेशन करवा रखी है। पीछे स्कूल में कोई शास्त्री आया है या नहीं, इसकी कोई परवाह नहीं। छात्रों की पढ़ाई बाधित हो या नहीं, इससे भी कोई सरोकार नहीं।
शास्त्री के पद की नियुक्ति जिला कैडर के तहत होती है। एक प्रतिशत कोटे में ट्रांसफर दूसरे जिला में हो सकती है, बशर्ते नौकरी की मियाद 13 साल पूरी हो चुकी हो। सूत्र बताते हैं कि शास्त्री राकेश कुमार की नौकरी 13 साल की नहीं हुई। हाल ही में डैपुटेशन को लेकर बीजेपी ने सदन में भी मामले उठाए। संभव हो सकता है कि शास्त्री जी बीमारी की दलील देकर डैपुटेशन करवाने में कामयाब रहे हों, लेकिन चर्चा इस बात की है कि इस तरह की सुविधा भी केवल रसूखदार शिक्षकों को ही मिलती है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक प्रारंभिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक कार्यालय को इस बात की जानकारी नहीं है कि बिलासपुर में किस स्कूल में गए हुए हैं। बहरहाल स्वाभाविक सी बात है कि इस तरह की डैपुटेशन से स्कूल में पढ़ाई तो बाधित हो ही रही होगी। उधर प्रारंभिक शिक्षा विभाग की उपनिदेशक पूनम सूद ने माना है कि शिक्षक डैपुटेशन पर हैं। उन्होंने कहा कि निदेशालय से आदेश के बाद ही प्रतिनियुक्ति दी जाती है।