मंडी (वी कुमार) : तीन धर्मों की पवित्र संगम स्थली रिवालसर झील के पानी का रंग लाल हो गया है, जिसकी वजह से झील में हजारों की तादाद में मछलियां मर चुकी हैं और बाकी बची मछलियां भी मरने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। स्थानीय लोगों और प्रशासन की तरफ से मछलियों का रेस्क्यू किया जा रहा है और बची हुई मछलियों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने का कार्य किया जा रहा है।
रिवालसर झील के पानी का अचानक से रंग बदलना और मछलियों का इतनी तादाद में मरने की वजहों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। मंडी जिला के बल्ह विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तीन धर्मों की संगम स्थली त्रिवेणी के नाम से प्रसिद्ध रिवालसर कस्बे में पवित्र झील में प्रदुषण होने से और ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से यहां पर हजारों की संख्या में मछलियां मर चुकी हैं।
प्रशासनिक अमला और मत्स्य विभाग के अधिकारी मौके पर डटे हुए हैं और यहां से मरी हुई मछलियों को बोट के साहारे बाहर निकाल कर डम्प करने का कार्य किया जा रहा है। रिवालसर झील में बेहोश और मौत से लड़ाई लड़ रही मछलियों को स्थानिय लोगों और प्रशासन की मदद से सुन्दरनगर झील और नहर में छोडा जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार रिवालसर की पवित्र झील के पानी का रंग अचानक बदलने और इतनी बड़ी मात्रा में मछलियों के मरने के रहस्य का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
विभाग के अनुसार बीती शाम को मतस्य विभाग की टीम ने पानी के सैंपल ले लिए हैं और उन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है जिसकी रिपोर्ट दो से तीन दिनों में आ सकती है। वहीं रिवालसर की पवित्र झील के अस्तित्व को बचाने का प्रयास कर रहे यहां के एनजीओ डैवलपमेंट एक्शन ग्रुप के अनुसार उन्होंने झील में फैल रहे प्रदूषण को देखते हुए इसके रखरखाव के लिए बनने वाली कमेटी को प्रशासन द्वारा न बनाए जाने पर रोष जाहिर किया है।
इसकी शिकायत एनजीओ के सदस्यों ने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी से भी की थी जिसपर एनजीटी ने स्थानिय प्रशासन को रिवालसर झील को बचाने के उद्देश्य यहां पर एक कमेटी का गठन करने को कहा गया था लेकिन लगभग 1 साल के बाद भी उस कमेटी का गठन नहीं किया गया है।
स्थानीय लोगों ने रिवालसर झील के रखरखाव में कमी को ही इस हादसे की वजह बताया है और सरकार और प्रशासन से जल्द ही इस बारे में कडे कदम उठाने का आग्रह किया है ताकि अभी भी मौत से जूझ रहीं हजारों मछलियों और झील को बचाया जा सके।
प्राचीन धरोहरों और प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने और सहेजने के लिए प्रशासन और सरकार कितनी सजग है इसका अंदाजा मिटने की कगार पर खडी रिवालसर की पवित्र झील से सहज ही लगाया जा सकता है। शायद सरकार और प्रशासन इस तरफ समय रहते गौर करते तो आज यह नौबत ही नहीं आती।