मंडी (वी कुमार) : आज आपको एक ऐसे गांव की दास्तां बताने जा रहे हैं जहां के ग्रामीण आज भी बारिश के पानी से अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करपाते हैं। अगर मेघ बरस गये तो ठीक वरना महीनों पानी के लिए तरसना पड़ता है। देखिये शराबबंदी में अव्वल रहे इस गांव की पानी कीपाबंदी की यह कहानी।
मंडी जिला के करसोग उपमंडल की ग्राम पंचायत संवामांहू कासंवामांहू गांव। यह गांव बीते कुछ समय से इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि गांव के महिला मंडल ने अपने गांव में शराबबंदी करवा दी। पूरे प्रदेश में शराबबंदी करवाने वाला यह पहला गांव तो बन गया लेकिन गांव में शराब के बजाय पानी को लेकर जो पाबंदी चली है, उससे ग्रामीण अभी भी जूझ रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि संवामांहूगांव के लोग आज भी बारिश के पानी पर ही निर्भर हैं।
गांव के आसपास किसी प्रकार का कोई प्राकृतिक जल स्त्रोत नहीं। घरों मेंनलके लगे हैं लेकिन उनमें पानी नहीं आता। ग्रामीणों की मानें तोकभी 15 दिनों में पानी आता, कभी एक महीने बाद तो कभी-कभार 3 महीने भी लग जाते हैं नलों में पानी आने के लिए। भला हो सरकार की वर्षा जल संग्रहण योजना का, जिसके तहत गांव में जल भंडारण के टैंक बन गए और ग्रामीण इसमें जमा होने वाले वर्षा जल से जैसे-तैसे अपना गुजारा चला रहे हैं। अगर बारिश हुई तो ठीक अगर नहीं हुई तो फिर बिना पानी के ही गुजारा करना पड़ता है।
संवामांहू गांव।ग्रामीणों को पीने का पानी टैंकरों के माध्यम से लाना पड़ता है औरइसके लिए उन्हें भारी भरकम रकम अदा करनी पड़ती है। ग्रामीणों ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत घरों में शौचालयों का निर्माण तो कररखा है लेकिन इसका इस्तेमाल तभी होता है जब नलों में पानी आता है। क्योंकि ग्रामीणों के समक्ष यही समस्या है कि वह उपलब्ध पानी को पशुओं के लिए रखें, खुद के लिए या फिर शौचालयों के लिए। ग्रामीणों ने सरकार से मांग उठाई है कि उन्हें नियमित रूप से पानी की सप्लाई दी जाए।
बता दें कि संवामांहू गांव ही इकलौता गांव नहीं जो पानी की समस्यासे जूझ रहा है। आसपास के जो भी गांव हैं उनका हाल भी कुछ ऐसा हीहै। ग्रामीणों को उम्मीद है कि विभाग और सरकार उनकी इस समस्या पर गंभीरता से विचार करते हुए पानी की समस्या का जल्द से जल्दसमाधान करेंगे।