मंडी (वी कुमार) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस आश्वासन का प्रदेश के किसान आज भी इंतजार कर रहे हैं जिसमें उन्होंने प्रदेश में कृषि आधारिक उद्योग लगाने की आवश्यकता पर बल दिया था। चुनावी बेला में दिखाई गई इस आवश्यकता पर आज दिन तक अमल नहीं हो सका है। साथ ही प्रधानमंत्री ने लाहुल स्पिति के आलू और मंडी जिला में मिलने वाली औषधीय जड़ी बूटी गुछी की मार्केटिंग की बात भी कही थी जोकि आज दिन तक पूरी नहीं हो सकती है।
पहाड़ी प्रदेश हिमाचल की 85 फीसदी आबादी गांवों में रहती है और अधिकतर आबादी कृषि पर ही निर्भर है। खेती बाड़ी करके अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले किसानों की हालत किसी से छुपी नहीं है। प्रदेश के किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाता। जो किसान खेती बाड़ी करते हैं या तो उन्हें मौसम की मार झेलनी पड़ती है या फिर जंगली जानवरों का आतंक। और जो रही सही कसर होती है उसे बिचौलिए पूरा कर देते हैं। यही कारण है कि आज प्रदेश के अधिकतर किसानों ने खेती बाड़ी करना ही छोड़ दिया है।
किसान सपना शर्मा का कहना है कि खेती से कोई मुनाफा नहीं होता जिस कारण अधिकतर किसानों ने इस व्यवसाय से अपना मुहं मोड़ लिया है।
5 वर्षों तक हिमाचल भाजपा के प्रभारी रह चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की इन समस्याओं से भली भांति परिचित हैं। और जब प्रधानमंत्री 29 अप्रैल 2014 को चुनाव प्रचार के चलते मंडी आए थे तो उन्होंने यहां के किसानों को कृषि आधारित उद्योग लगाने का सब्जबाग दिखाया था। दो वर्ष हो जाने के बाद भी प्रदेश के किसानों को केंद्र सरकार की तरफ से कोई बड़ा तोहफा नहीं मिल पाया है। यही कारण है कि अब प्रदेश के किसानों ने प्रधानमंत्री को किया हुआ वादा याद दिलाना शुरू कर दिया है।
29 अप्रैल 2014 को मंडी के ही ऐतिहासिक पड्डल मैदान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपेक्षा का शिकार हो रहे लाहुल स्पिति के आलू और मंडी जिला के उपरी इलाकों में पाई जाने वाली औषधीय जड़ी बूटी गुछी को लेकर कई बातें कही थी।
बता दें कि जनजातिय जिला लाहुल स्पिति में बड़े पैमाने पर आलू की पैदावार की जाती है और यहां का आलू विश्व भर में प्रसिद्ध है लेकिन किसानों को इस आलू के नाममात्र के ही दाम मिल पाते हैं जबकि चिप्स बनाने वाली कंपनियां इसी आलू के दम पर करोड़ों का कारोबार करती हैं। वहीं अगर बात की जाए औषधीय जड़ी बूटी गुछी की तो यह जड़ी बूटी सिर्फ मंडी जिला के उपरी इलाकों में ही पाई जाती है। बाजार में इसकी कीमत 10 से 15 हजार रूपये प्रति किलो होती है। लेकिन यहां पर भी बिचौलिए बाजी मारकर इन्हें ग्रामीणों से सस्ते दामों पर खरीद कर ले जाते हैं।
अब जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार काम कर रही है और ऐसे में जब प्रधानमंत्री बनने के बाद वह पहली बार हिमाचल प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं तो इससे किसानों को ढेरों उम्मीदें जगने लगी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री किसानों को कौन कौन सी सौगातें देकर जाते हैं।