हमीरपुर, 31 मार्च : हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर स्थित राजकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी में मालाबार नीम की खेती का सफल ट्रायल कर लिया गया है। करीब तीन वर्ष पहले कर्नाटक से लाया गया पौधा विशालकाय पेड़ बन चुका है। यहा पर मालाबार नीम के पौधों की 10 विभिन्न प्रजातियां भी विकसित कर ली गई हैं। विभाग की नर्सरी में लगभग 10 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
बता दें कि सफल ट्रायल के बाद अब प्रदेश के किसानों को पौधे वितरित किए जाएंगे। मालाबार नीम दुनिया में सबसे तेजी से उगने वाले पेड़ों में से एक है। देश के कर्नाटक तमिलनाडु और गुजरात राज्यों में यह पेड़ उगाया जाता है।
कम पानी की आवश्यकता विशेषज्ञों के मुताबिक मालाबार नीम के पौधों को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। पेड़ तीन साल बाद कागज और माचिस की तीलियां बनाने में उपयोग योग्य हो जाता है। इतना ही नहीं छह साल बाद प्लाइवुड और आठ साल बाद फर्नीचर उद्योग में इस्तेमाल करने लायक हो जाता है। इसके साथ ही इस पेड़ की लकड़ी दीमकरोधी होती है। इसकी पत्तियां भी उपयोगी होती हैं।
10 प्रजातियों का हुआ था ट्रायल वन अनुसंधान केंद्र देहरादून से मालाबार नीम के पौधे लाकर बिलासपुर, कांगड़ा व हमीरपुर में रोपे गए। तीन साल में नेरी में रोपे गए पौधे अब बड़े हो गए हैं। उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय के डॉ दुष्यंत शर्मा ने मालाबार नीम के पौधों की 10 प्रजातियां ट्रायल के लिए रोपी थीं। किसानों को यह पौधा 30 से 40 रुपये में उपलब्ध करवाया जा रहा है।
राजकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के विशेषज्ञ डॉ. दुष्यंत ने कहा कि उन्होंने प्रदेश में तीन वर्ष पूर्व मालाबार नीम के पौधे रोपे थे। उनका कहना है कि पौधे तीन साल में काफी विशालकाय हो गए हैं। एक पेड़ में तो एक वर्ष में फूल आ गए हैं, जिससे और पौधे तैयार कर सकते हैं। मालाबार नीम की लकड़ी काफी महंगी होती है। नर्सरी में लगभग 10 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं।