शरगांव में कवि सम्मेलन व सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन
शेरजंग चौहान। फागू
कला भाषा एवं संस्कृति विभाग के सौजन्य व वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शरगांव के सहयोग से उक्त विद्यालय में एक कविगोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन में जहां राज्यस्तरीय एवं वरिष्ठ कवियों ने भाग लिया। वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चूड़ेश्वर सांस्कृतिक दल जालग ने अपनी प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने माने साहित्यकार, कलाकार एवं कवि विद्यानंद सरैक ने की। जबकि सभापति स्थानीय विद्यालय के प्रधानाचार्य केआर धीमान थे। विशेष अतिथि के रूप में भाषा अधिकारी अनिल हारटा विराजमान थे। वरिष्ठ कवियों में हेतराम पहाड़िया, जयप्रकाश चौहान, शेरजंग चौहान के अलावा प्रेमपाल सिरमौरी, कमल, राजेश एंव नवोदित कवि स्पर्श चौहान थे। स्थानीय स्कूल के शिक्षकेां को भी मंच मिला और उन्होंने ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से स्कूली दिनचर्या को दर्शकों एवं श्रोताओं के समक्ष रखा। चूड़ेश्रवर सांस्कृतिक दल ने, जोगेंद्र हाब्बी के नेतृत्व में सुंदर कार्यक्रम पेश करके खूब तालियां बटोरीं। कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन का काम कवि कमल ने बखूबी निभाया। कार्यक्रम लगभग तीन-चार घंटे चलता रहा।
सबसे पहले बाल-कवियों के रूप में स्कूल के बच्चों ने अपनी कविताएं सुनाई। नौजवान कवियों में सबसे पहले स्पर्श चौहान ने अपनी कविता सुना कर कवि सम्मेलन का विधिवत आरंभ किया। उनकी कविता का शीर्षक था ‘‘जीवन एक रंगमंच’’ जिसमें उन्होंने लोगों को अपने किरदार को सही ढंग से निभाने की सलाह दी। उनकी यह कविता भले ही आध्ुनिक शैली में रची गई थी परंतु सरल एवं स्टीक शब्दों का प्रयोग करके वे अपनी बात कहने में पूरी तरह से सफल रहे। उसके बाद बारी आई स्थानीय कवि राजेश शर्मा की। उन्होंने वर्तमान जीवन की उहापोह भरी व्याकुलता को सबके सामने रखा और अपनी सुंदर रचना का रसपान करवाया। उसके बाद एकमात्र कवयित्री सुलोचना ने अपनी रचना के माध्यम से उपस्थित दर्शकों को पहाड़ी संस्कृति से रूबरू करवाया।
अगले कवि के रूप में प्रेमपाल सिरमौरी ने अपनी पहाड़ी रचनाओं का आगाज ‘बुढ़ापा’ कविता से किया तथा अंत, हिमाचल की बर्फ से लदी पहाड़ियों की सुंदर बानगी के साथ किया। तदोपरांत वरिष्ठ कवियों की बारी आई तो सबसे पहले शेरजंग चौहान ने बेटियां शीर्षक से अपनी कविता सुनाई जिसमें बेटियों के हौसलों के बारे में कहा गया था। ‘‘ दुनियाभर में समाज का है आधार बेटियां, घर-घर की शान और हैं बहार बेटियां’’। उसके बाद मंच पर पधारे वरिष्ठ कवि जयप्रकाश चौहान जिन्होंने स्थानीय बोली में कविता पढ़ी। कविता का शीर्षक था ‘‘ ठोगड़े रा बोल’’। उन्होंने आज की विकृत व्यवस्था पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘ठोगड़े रा बोल हामें कुणिए न माना, एबे आया भाईयो नोआ जमाना’’।
उनके बाद बुजुर्ग एवं परमार के जमाने से कविता करते आरहे पहाड़िया हेतराम ने मंच पर कब्जा किया तथा अपनी कविताओं एवं शेरों के माध्यम से आज की बदलती दुनिया पर दुख प्रकट किया तथा डा0 वाईएस परमार एवं वैद्य सूरतसिंह के जमाने की याद दिलाई। इसी बीच, मंच संचालन कर रहे कमल शर्मा ने अपनी रचना कही जिसमें उन्होंने आधुनिक शैली को महत्व देकर, उसके माध्यम से आज की पीढ़ी को नसीहत देने की कोशिश की। इसके अलावा सबसे सुंदर प्रदर्शन ‘‘शौचमुक्त भारत’’ नाम के नाटक का रहा। यह हास्य नाटिका हालांकि स्थानीय बोली में थी परंतु स्थानीय विद्यार्थियों एवं उपस्थित दर्शकों ने इसे खूब पसंद किया।