कहां हो तुम?
चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,
तू तो थी,
बड़ी सयानी,
सारी दुनिया,
क्यों थी,
तेरी दिवानी,
सारी कायनात,
का नूर था तेरा,
लाल, पीला,
हरा और धानी,
तू मिट्टी में,
लोटती थी,
सब कहते थे,
अब बरसेगा पानी,
तपती धरती,
को होती थी,
थोड़ी-थोड़ी,
आसानी,
दादी मां,
बांटती थी,
बच्चों को,
गुड़धानी,
तेरा घर था,
घर का हर कोना,
अम्मा भी तेरी,
तेरा नहीं था कोई सानी,
तेरा घोंसला छोड़कर,
हम बच्चे करते थे,
कभी-कभी नादानी,
रख छोड़ते थे वहां,
चीथड़े, दाना और पानी,
और तेरे बिना,
अधूरी सी थी,
नानी मां,
की हर कहानी,
पर, कोने में,
रखा गमला,
छत की मुंडेर,
खिड़की, दरवाजे,
किताबों की अलमारी,
रसोईघर में कटोरी,
चावल के दाने,
आंगन में पड़ी गेंद झाडू,
बरामदे के झूमर,
बूढ़ी मां, के आटे के जौं…….
सब, ढूंढ रहे हैं,
तेरे होने की निशानी,
कहां हो तुम?
-मोहम्मद कय्यूम सैय्यद की कलम से……
पुस्तक: -चांद पर अब परियां नहीं रहती
पुस्तक: -चांद पर अब परियां नहीं रहती