वाराणसी, 14 अगस्त: सीमा पर तैनात भारतीय जवानों(Indian Army) के साधारण हेलमेट(Helmet) को आधुनिक बना कर उससे दुश्मनों को छक्के छुड़ाए जा सकेंगे। रोबो हेलमेट(Robo Helmet) की मदद से पीठ पीछे वार करने वाले दुश्मनों से जवान सतर्क रहेंगे और उनके हमलों का जवाब दे सकेंगे। अब दुश्मनों से मुकाबले के लिए नये हथियार के रूप में रोबो हेलमेट का प्रयोग किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री(Prime Minister) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अशोका इंस्टिट्यूट(Ashoka Institute) की छात्रा अंजली श्रीवास्तव ने दावा किया है, उसके द्वारा तैयार आधुनिक रोबो हेलमेट अब देश के सैनिकों पर वार करने आए दुश्मनों पर गोलियां दागेगा। इस हेलमेट को विशेष तौर पर देश के बॉर्डर पर तैनात सैनिकों को और अधिक सक्षम बनाने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि इसे देश के सैनिकों के काम आने के लिए रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर मदद मांगी है।
अंजली ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया, रोबो हेलमेट जवानों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। अभी यह प्रोटोटाइप है। इसकी खसियत यह है कि रोबो हेलमेट में पीछे से वार करने वाले दुश्मन का एक सिग्नल मिलेगा। इससे वह दुश्मन को बड़े आराम से खत्म कर देगा। इसके अलावा दुश्मनों के बीच फंसे होने पर हेलमेट में लगे पहिये रोबो का रूप धारण करके फायर(fire) करने लगेंगे। अभी इसका मॉडल(Model) तैयार किया गया है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा है।
उन्होंने बताया कि रोबो हेलमेट पीछे से हमला करने वाले दुश्मनों से अपने जवानों को अलर्ट करता है। यह हेलमेट वायरलेस टेक्नोलॉजी(wireless technology) से लैस है। इस हेलमेट का एक वायरलेस फायर ट्रिगर है जो रेडियो फ्रिक्वेंसी (Radio Frequency) की मदद से हेलमेट में लगे बैरल से जुड़ा होता है। इस ट्रिगर को किसी भी तरह के राइफल गन के ट्रिगर के पास लगाया जा सकता है। अगर धोखे से कोई दुश्मन पीछे से हमला करने का प्रयास करेगा तो हेलमेट जवान को अलर्ट कर देगा जिससे समय रहते वायरलेस ट्रिगर की मदद से हेलमेट के पिछले हिस्से में लगे बैरल से फायर कर जवान अपना बचाव कर सकेंगे। इसके साथ ही इस वायरलेस रिमोट की मदद से इस रोबो हेलमेट को दुश्मन के ऐरिया में भी भेज कर गोलीबारी(Firing) की जा सकती है। जवान घायल होने पर इसे रोबोट के रूप में प्रयोग कर सकता है। इसमें लगे पहिये दुश्मन(Enemy) इलाके में रिमोट की सहायता से भेजा जा सकता है।
अंजली ने बताया कि इसका वजन काफी हल्का है। यह हेलमेट 360 डिग्री(360 Degree) में चारों तरफ घूम कर दुश्मन को टार्गेट कर सकता है। इसे संचालित करने का रेंज प्रोटोटाइप में 50 मीटर के करीब है। इसमें लगे गन की मारक क्षमता प्रोटोटाइप में 100 मीटर होगा। इसे बनाने में करीब 15 दिन का समय लगा है। पीछे तरफ एक मोशन सेंसर लगाया गया है। इसे बनाने में 7,000 से 8,000 रुपए का खर्च आया है। इसे सोलर एनर्जी(Solar Energy) के माध्यम से चार्ज करके संचालित किया जा सकता है। अशोका इंस्टिट्यूट एंड मैनेजमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट के इंचार्ज श्याम चैरसिया ने बताया कि रोबो हेलमेट का प्रोटाटाइप तैयार किया गया है। इसको बनाने का मकसद भारतीय सेना के सैनिकों को हमले से सुरक्षित रखना है। रक्षा मंत्रालय(Defense ministry) को इसे लेकर एक पत्र भी लिखा गया है।
क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया, इनोवेशन(Innovation) अच्छा है। आने वाले समय में सैनिकों के लिए काफी उपयोगी है। ऐसी तकनीकों को डीआरडीओ को विश्लेषण करके बढ़ावा देने की अवश्यकता है। जिससे भारत के आत्मनिर्भर बनने का सपना सकार हो सके।
–आईएएनएस
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