न्यूयॉर्क, 20 सितंबर : अंतरिक्ष की दुनिया में तमाम ऐसे रहस्य (mystery) हैं, जिन्हें लेकर इंसानों में हमेशा से रुचि रही है और इनमें से एक सवाल हर किसी के दिमाग में यही रहता है कि क्या पृथ्वी की तरह अन्य ग्रहों (Planets) में भी जीवन है? क्या वहां भी हमारी तरह कोई रहता है? इस विषय पर शोध (Research) काफी लंबे समय से जारी है। इसी क्रम में शोधकर्ताओं ने एक ऐसे स्वचालित माइक्रोचिप (Automatic microchip) का आविष्कार (Invention) किया है, जो इलेक्ट्रोफोरोसिस (Electrophoresis) या वैद्युतकण संचलन (Electrification circulation) का पता लगाने वाले में सक्षम है। इस चिप को अगर किसी खगोलीय रोवर (Celestial rover) के सहारे किसी अनजान ग्रह की मिट्टी पर छोड़ा जाए, तो शायद इसकी मदद से इस तथ्य का पता लगाया जा सकता है कि वहां जीवन के होने की गुंजाइश (request) है या नहीं।
सौर मंडल (Solar System) में अब तक पृथ्वी ही एक ऐसे ग्रह के रूप में सामने आई है, जहां जीवन है। हो सकता है कि अन्य ग्रहों पर भी कभी प्राणी (Creature) रहे हों या रहते हों। हालांकि यह एक चुनौतीपूर्ण विषय है। पृथ्वी के अलावा अभी तक कुछेक ग्रहों में परीक्षण (testing) के दौरान कुछ कार्बनिक अणुओं की ही बस उपस्थिति मिली है। एनालिटिकल केमिस्ट्री जर्नल (Analytical Chemistry Journal) में प्रकाशित एक शोध में कहा गया, मंगल ग्रह (Mars) पर इससे पहले के जितने भी मिशन रहे हैं, वह गैस क्रोमैटोग्राफी (Gas chromatography) और मास स्पेक्ट्रोमैट्री (Mass spectrometry) (जीसी-एमएस) की तकनीक से यौगिकों (Compounds) की पहचान करने और उन्हें अलग करने से संबंधित था।
हालांकि, इन तकनीकों की मदद से कुछ तत्वों पर विश्लेषण (Analysis) बारीकी से नहीं हो पाता, जैसे कि ऑर्गेनिक एसिड्स, (Organic acids) खासकर अगर सैंपल में जल, मिनरल्स और नमक- तीनों की ही उपस्थिति हो। शोधकर्ताओं का कहना है कि माइक्रोचिप इलेक्ट्रोफोरोसिस (Microchip electrophoresis) (एमई) आधारित विश्लेषण ही इसके लिए सही रहेगा। लेकिन फिलहाल जितने भी उपकरण हैं, वे आंशिक रूप से स्वचालित है, जो इंटरप्लेनेटरी मिशन (ग्रहों के बीच सैर करना या बने रहना) के लिए उतना उपयोगी नहीं है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पीटर विलिस ने अपने सहकर्मियों संग मिलकर एक पोर्टेबल, बैटरी से संचालित उपकरण का निर्माण करना चाहा, जो सैंपल को एकत्रित करें, उसकी पहचान करें, उसमें मौजूद ऑर्गेनिक मॉड्यूल्स का पता लगाए और यह पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक हो।