देहरादून, 25 अप्रैल : उत्तराखंड का “माणा” गांव जिसे भारत के आखिरी गांव के नाम से जाना जाता था वो अब आखिरी नहीं बल्कि “भारत के पहले गांव” के नाम से जाना जाएगा। सीमा सड़क संगठन (border roads organisation) ने उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर बसे सीमांत गांव माणा के प्रवेश द्वार पर ‘भारत का प्रथम गांव’ होने का साइन बोर्ड लगा दिया है। सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने इसकी जानकरी दी है।इस दौरान उन्होंने उन्होंने सोशल मीडिया (social media) पर एक तस्वीर भी साझा की। उन्होंने लिखा, ‘अब माणा देश का आखिरी नहीं बल्कि प्रथम गांव के रूप में जाना जाएगा।”

क्या है इसकी वजह…
लाजमी तौर पर आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा की आखिर ऐसा क्यों है? बताते चलें कि 21 अक्टूबर 2022 को माणा में आयोजित एक कार्यक्रम में मोदी ने मुख्यमंत्री द्वारा माणा को भारत का अंतिम गांव की बजाय देश का पहला गांव कहे जाने पर मुहर लगाते हुए कहा था कि अब तो उनके लिये भी सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमांत गांव माणा में उसे देश के प्रथम गांव के रूप में संबोधित किया थ। हमारी सरकार सीमांत क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास हेतु सदैव समर्पित है।
उन्होंने कहा था, ‘पहले जिन इलाकों को देश के सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से देश की समृद्धि का आरंभ मानकर शुरू किया। लोग माणा आएं, यहां डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है।” माणा गांव बद्रीनाथ के पास स्थित है और बदरीनाथ दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालु पर्यटन के लिए माणा गांव तक जाते हैं।