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‘पंच’ से तोड़ी परंपरा, रूढ़िवादी सोच पीछे छोड़ बनी महिला बाउंसर

March 14, 2021 by MBM News Network

नई दिल्ली, 14 मार्च : यदि बाउंसर बनने का काम सिर्फ मर्दों का ही होता है तो आप किसी गलतफहमी में हैं। हम आज एक ऐसी महिला की बात करने करने जा रहे हैं जो एक मशहूर महिला बाउंसर है। मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाली 34 वर्षीय मेहरूनिसा नाइट क्लब में होने वाली लड़ाई को खत्म करने के साथ साथ महिला ग्राहकों पर नजर रखने तक का काम करती हैं।

'पंच' से तोड़ी परंपरा, रूढ़िवादी सोच पीछे छोड़ बनी महिला बाउंसर

मेहरुनिशा शौकत अली को आप ग्राहकों या सहकर्मियों के साथ बात करने के तरीके से अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि इसके पीछे एक कड़क मिजाज बाउंसर भी छिपा हुआ है। मेहरूनिसा के परिवार में कुल 3 भाई और उनके अलावा 4 बहने हैं। हालांकि मेहरुनिशा उनकी एक और बहन भी उन्हीं के नक्शे कदम पर बढ़ चुकी हैं।

दरअसल 34 साल की मेहरूनिसा यूपी के सहारनपुर जिले से ताल्लुक रखती हैं। सन 2004 से ही इस लाइन से जुड़ गई, और 10वीं कक्षा से ही बाउंसर का काम करने लगी, हालांकि शुरुआत में बाउंसर की जगह उन्हें सिक्युरिटी गार्ड कहा जाता था, जिसका उन्होंने विरोध किया।

मेहरूनिशा ने आईएएनएस को बताया, मैं देश की पहली महिला बाउंसर हूं, ये दर्जा प्राप्त करने के लिए मैंने बहुत लड़ाई लड़ी। जब मुझे गार्ड कहा जाता तो बहुत गुस्सा आता था। लेकिन कड़े संघर्ष के बाद मुझे देश की पहली महिला बाउंसर का दर्जा प्राप्त हुआ।

हालांकि उनके इस काम से उनके पिता खफा रहते थे। स्थानीय लोगों के ताने सुन कर उनके पिता हर वक्त नौकरी छोड़ने के लिए कहते। लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि लोग अब यह कहते हुए सुनाई पड़ते हैं कि बेटी हो तो मेहरूनिशा जैसी। हालांकि मेहरूनिशा के पास इस वक्त कोई काम नहीं है। कोरोना काल में क्लब बंद हो जाने के बाद उनकी नौकरी चली गई। वहीं प्राइवेट इवेंट्स भी आने बंद हो गए। जिसकी वजह से अब वह बेरोजगार है।

घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए उनकी नौकरी बेहद जरूरी है, लेकिन इस वक्त वह हाथ पर हाथ रखे बैठी है। उनके अलावा जितनी भी महिलाओं को बाउंसर की नौकरी पर लगाया वह सभी मौजूदा वक्त में कोई काम नहीं कर रही हैं। मेहरूनिशा को अब तक कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही में उन्हें 8 मार्च को महिला दिवस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से भी अवार्ड से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं उनके ऊपर एक किताब भी लिखी जा रही है।

इतना कुछ प्राप्त करने के बावजूद भी वह खुश नहीं हैं। उनके मुताबिक जिस तरह उनका संघर्ष रहा, उन्हें वह पहचान नहीं मिल सकी और अब तो हालत ये हो गई है कि फिलहाल उनके पास नौकरी तक नहीं है। मेहरूनिशा ने आगे बताया कि, शुरुआत में बहुत परेशानी देखी, न परिवार साथ देता था और न ही वक्त। मेरा वजन भी ज्यादा था, इसके बाद मैंने एनसीसी ज्वाइन किया। मुझे आर्मी या पुलिस की नौकरी करनी थी लेकिन मेरा पिता को यह पसंद नहीं था।

मैंने एक परीक्षा भी दी थी, जिसमे मैंने उसे पास कर लिया था। यदि मेरे पिता उस वक्त हां कर देते तो मुझे सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिल जाती। उन्होंने आगे बताया कि, जिंदगी मे इतना संघर्ष रहा कि मैं शादी भी नहीं कर सकी। एक सड़क हादसे के बाद मेरी बहन के पति ने उसे छोड़ दिया, जिसके बाद उनके बच्चों की जिम्मेदारी मेरे पास आ गई। मेरी शादी के रिश्ते आते हैं लेकिन बच्चों की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता।

Filed Under: दिल्ली, नेशनल Tagged With: National News In Hindi



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