बेटियां
दुनिया में हैं समाज का आधार बेटियां,
घर घर की हैं ये शान और बहार बेटियां।
लिखा पढ़ा के दीजिए तालीम खूब इनको,
लाती हैं क्योंकि दुनिया में रफ्तार बेटियां।
मुसीबतों से करती हैं, डटकर मुकाबला,
होती हैं सबसे ज्यादा, गमख्वार बेटियां।
हर रंजो गम ये सहतीं, परिवार के लिए,
खुद को दुख औरों को बांटे, प्यार बेटियां।
मां-बाप का घर छोड़, बसाती दूसरों के घर,
बाबुल का ध्यान रखती हैं बरकरार बेटियां।
रख देती सपने अपने, हैं मन-मसोस कर,
घरवालों के मगर सपने करे साकार बेटियां।
न चाह इन्हें कुछ भी, हैं हम समाजियों से,
बस मांगती है हमसे, सदव्यवहार बेटियां।
शेरजंग चौहान, फागू (राजगढ़)