देहरादून, 13 फरवरी : केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चमोली जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों से बरामद सभी शवों या अंगों के डीएनए नमूने संरक्षित करने का फैसला किया है। आपदा के बाद अब तक बरामद किए गए सभी शवों या अंगों के डीएनए सैंपल जिले के गोपेश्वर पुलिस स्टेशन के एक डीप फ्रीजर में रखे जा रहे हैं।
चमोली के पुलिस अधीक्षक (एसपी) यशवंत सिंह चौहान ने कहा, “हमने सभी शवों के डीएनए नमूने लेने का फैसला किया है, शवों के पहचान होने के बाद भी इसे लिया जाएगा।”यह निकट भविष्य में विवादों से बचने के लिए किया जा रहा है, जो आमतौर पर गलत पहचान के कारण होता है। चौहान ने कहा कि अब तक केवल 10 शवों की पहचान की गई है।
हालिया समय में एक शव की पहचान कश्मीरी इंजीनियर बसरत जारगर के रूप में की गई, जिसका आधा धड़ क्षेत्र में बरामद किया गया। जारगर के परिवार के सदस्यों ने उसके शरीर की पहचान की और उसे दफन के लिए क्षेत्र में ले गए। चौहान ने कहा, “अधिकांश शव खराब परिस्थितियों में पाए गए हैं और अन्य मामलों में वे केवल हिस्सों में हैं।”
वे सभी शव या अवशेष जो 92 घंटे पुराने हो जाते हैं, उन्हें भी दिन के आधार पर दाह संस्कार के लिए भेजा जा रहा है। शुक्रवार को 2 और लोगों के शवों को बरामद किया गया, जिससे यहां बरामद शवों की संख्या 38 हो गई है। चमोली जिले के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रविवार की सुबह के जलप्रलय के बाद लगभग 200 लोग लापता हो गए थे।
शीर्ष पुलिस सूत्रों ने कहा कि पहचान की प्रक्रिया कठिन होती जा रही है, क्योंकि अधिकांश लोग तपोवन क्षेत्र में अपने प्रियजनों की तलाश कर रहे हैं, जो आपदा के बाद से लापता हैं। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा, “जिस पल वे सुनते हैं कि एक शव बरामद हुआ है, सभी लोग पहचान के लिए आ जाते हैं। हमें ऐसी परिस्थितियों में बहुत शांत रहना होगा, क्योंकि यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है।”
–आईएएनएस